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प्रिंस अलेमाएहु: एबिसिनिया का खोया हुआ वारिस अफ्रीका के मध्य में, राजकुमार अलेमायेहु के जीवन के माध्यम से राजशाही, त्रासदी और औपनिवेशिक साज़िश की एक कहानी सामने आती है। 1861 में जन्मे, वह सम्राट टेवोड्रोस द्वितीय और रानी टेरुनेश के पुत्र थे, ये दो शख्सियतें थीं जिनका जीवन एबिसिनिया की नियति के साथ जुड़ा हुआ था। यह युवा राजकुमार, जो अंततः इथियोपिया के लचीलेपन और प्रतिरोध का प्रतीक बन गया, को न केवल अपने पिता का नाम विरासत में मिला, बल्कि एक एकजुट और शक्तिशाली इथियोपिया के सपने भी विरासत में मिले। रॉयल्टी की जड़ें प्रिंस अलेमायेहु की वंशावली का पता एबिसिनिया के प्राचीन सम्राटों से लगाया जा सकता है, यह वंश इतिहास की समृद्ध मिट्टी में एक विशाल वृक्ष की गहरी जड़ों की तरह डूबा हुआ है। उनके पिता, सम्राट टेवोड्रोस द्वितीय, एक दूरदर्शी नेता थे, जिनकी तुलना अक्सर सवाना के शेर से की जाती थी, जो बाहरी खतरों से अपने राज्य की रक्षा करते थे। उनकी मां, रानी तेरुनेश, एक उज्ज्वल सूरज के समान थीं, जो अपने परिवार और प्रजा को गर्मी और आराम प्रदान करती थीं। अलेमायेहु का पालन-पोषण शाही परंपराओं और एबिसिनिया

Sant Kabir Das



SANT KABIR DASS JI

संत कबीर दास के दोहे

Indian mystic poet and saint Kabirdas, also known as Kabir, lived in the 15th century. He is the greatest poet of the Nirguna branch of the Gyanmargi subbranch of Bhakti literature in Hindi. His songs had a significant impact on the Bhakti movement in the Hindi-speaking world. His works have been incorporated into the Sikhs' Adi Granth.


संत कबीर दास के दोहे


केस कहा बिगडिया, जे मुंडे सौ बार

  मन को काहे न मूंडिये, जा में विशे विकार

Kes kaha bigadiya , J munde saau baar 

Maan ko kahe na mundiye , Ja mai vishay vikaar

केस = बाल , मुंडे = सर के सारे बाल साफ करना 

जा में विशे विकार= जिस में अच्छे विचार न हो 


माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय 

एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय 

Maati khe kumhaar se tu kya ronde moye

Ek din aisa aae ga main rondu gyi tohe 

साईं इतना दीजिए जा मे कुटुम समाय

मैं भी भूखा न रहूं साधु ना भूखा जाय

Sai itna dijiye ja mai kutumb samaye

Main bhi bookha na rahun sadhu na bukha jae

बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर

पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर
Bada hua toh kya hua jaise ped khajur 
Panthi ko chaya nahi phal lage atti dur

बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय
जो मन  खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय

Bura jo dekhan main chala bura naa milya koye

Jo maan khoja apna mujhse bura naa koye

पोथी पढ़ - पढ़ जग मुआ, भया न पंडित कोय
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय

Pothi padh -padh jag mua, Bhaya na pandit koye

Dhai akhaar prem ka, Padhe so pandit hoye

माला फेरत जुग भया फिरा न मन का फेर
कर का मनका डार दे मन का मनका फेर

Maala ferat jug bhaya fira na maan ka fer

Kr ka manka daar de maan ka maanka fer

कर = हाथ , डार = छोड़ 


SANT KABIR DASS JI
SANT KABIR DASS JI


जात  न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान

Jaat na pucho sadhu ki , Puch lijiye gyan 
Mool karo talvar ka, Pada pada rehan do miyaan

म्यान = जिस में तलवार रखी जाती है 


जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ

Jin khoja tin paiya, Gahre pani paeth

Main bapura budaan daara , Raha kinare baith

गहरे पानी पैठ = गहरे पानी का तला,    बपुरा = बेचारा 

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि

Boli ek anmol hai, Jo koi bole jaani
Hiye taraju toli ke,  Tb mukh bahar aani

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप

Ati ka bhala na bolna , Ati ki bhali na chup

Ati ka bhala na barsna , Ati ki bhali na dhoop

चूप = चुप रहना, 


निंदक नियरे राखिए, आँगन  कुटी छवाय
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय

Nindaak niyre rakhiye , Aangaan kooti chhwaye

Bin pani, Saabun bina , Nimal kre subhaye


आँगन  कुटी छवाय = आँग में कुटिया बना के देना 
सुभाय = सुभाव 


दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार

दुर्लभ = जो कठिनता से प्राप्त होता हो

तरुवर = पेड़
बहुरि न लागे डार = फिर से डाल पर नही लगता

Durlabh maanush janm hai, Dah na barambar

Taruvar jyo paata jhade , Bahuri na lage daar



कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर



बैर = दुश्मनी 


हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास
तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास 
हाड़ = हड्डिया , केस = बाल 

Kabira khada bajaar mai, Maange sabki khair

Na kahu se dosti , Na kahu se bair

कबीर तन पंछी भया, जहां मन तहां उडी जाइ
जो जैसी संगती कर, सो तैसा ही फल पाइ  

Kabir tan panchi bhya , Jahan maan tahaan udi jaai

Jo jaisi sangati kr , So taisa he fal paai


तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई
सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ  

Tan ko jogi sab kre, Maan ko birla koi

Sab sidhi shje paaiye, Je maan jogi hoi

माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया शरीर 
आशा  तिर्ष्णा  न मुई, यों कही गए कबीर 

Maaya mui na maan mua , Mari mari gaya shareer
Aasha trishna na mui , Yo kahi gaye kabir

SANT KABIR DASS JI
कबीर वाणी

कबीर तीनो  लोक सब राम जपत हें, जान मुक्क्ति को धाम
राम चन्द्र वसिष्ट गुरु किया तिन कहि सुनायो नाम

Kabir tino lok sab ram japat hai, Jaan mukti ko dham

Ram chandr  vashisht guru kiya tin kahi sunayo naam


कबीर तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल
सभी जीव भोजन भये, एक खाने वाला काल

Kabir tin lok pinjra bhaya , Paap punya do jaal

Sabhi jiv bhojaan bhaye , Ek khane vala kaal

कबीर मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटे हरी नाम
जैसे कुआँ जल बिना खुदवाया किस काम

Kabir maanush janm paya kar , Nahi rate hari naam

Jaise kuna jal bina khudvaya kis kaam 


postal stump sant kabir dass
चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय
 दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय

Chalti chaki dekh kr diya kabira roye
Do patan ke beech mai sabut bacha na koye



साधू कहावन कठिन है लम्बा पेड़ खजूर। 
चढ़े तो चखे प्रेम रस गिरे तो चकनाचूर।

Sadhu kahavan kathin hai lamba ped khajur

chade toh chkhe prem ras gire toh chaknachur

आए है तो जाएगे राजा रंक फाकिर 
एक सिंहासन चढी चले एक बाधे जंजिर


Aae ho toh jaoge raja rank fakir
Ek sinahaasan chadi chle ek badhe janjeer


stachu sant kabir das

कबीर कहा गरबियो काल गहे कर केस
ना जाने कहाँ मारिसी कै घर कै परदेस

Kabir kaha garbiyo kaal ghye kr kaise
Na jaane kaha maarisi ke ghr ke pardesh

कंकड़ पत्थर जोड़कर  मस्जिद लियो बनाये 
चढ़ कर मुलाह बांग दे  क्या बहरा हुआ खुदाए 

Kankad pathar jod kr masjid diyo banaye
Chd kr mulah baang de kya bahara hua khudaye

कबिरा गरब न कीजिये कबहूँ न हंसिये कोय
अबहूँ नाव समुद्र में का जाने का होय

Kabira grb na kijiye kabhu na hasiye koye
Abhu naav samudr mai jaane ka hoye

काल करे सो आज कर आज करे सो अब
पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगो कब

Kaal kare so Aaj kar aaj kare so ab
Pal mein pralaya hoyegi bahuri karoge kb

कुटिल वचन सबतें बुरा जारि करै सब छार
साधु वचन जल रूप है बरसै अमृत धार

Kutil vachan sabte bura jaari kre sab chaar
Sadhu vachan jal roop hai barse amrit dhaar

धीरे-धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा ॠतु आए फल होय

Dhire -dhire re mana dhire sab kuch hoye
Mali  seenche so ghara ritu aae fal hoye 

देवी बड़ी ना देवता  सूरज बड़ा ना चन्द 
आदि अंत दोनों बड़े  के गुरु के गोविन्द 

Devi badi na devta suraj bada na chandr
Aadi aant dono bade ke guru ke govind

माला फेरूँ ना हरी भजूं मुख से कहूँ ना राम
मेरे हरी मोको भजें  तब पाऊं विश्राम 

Maala pheru na hari bhuju mukh se kahu na ram
Mere hari moko bhje tab paau vishram

प्रेम-प्रेम सब कोइ कहैं, प्रेम न चीन्है कोय
जा मारग साहिब मिलै, प्रेम कहावै सोय

Prem -prem sab koi kahe , Prem na chinhey koy
Ja maarg sahib mile , Prem kahave sooy

कबीर लहरि समंद की मोती बिखरे आई.
बगुला भेद न जानई हंसा चुनी-चुनी खाई

Kabir lhri smand ki moti bikhre aai
Bagula bhed na jaanee hansa chuni-chuni khaai

भय से भक्ति करें सबै  भय से पूजा होए  
भय पारस है जीव को  निर्भय होए ना कोए

Bhy se bhakti kre sabo bhy se  puja hoye
Bhy paras hai jiv ko nirbhar hoye na koye 

शब्द बराबर धन नहीं जो कोई जाने बोल 
हीरा तो दामों मिलें  शब्द मोल ना तोल 

Shabd brabar dhan nahi jo koi jaane bol
Hira toh damo mile shbd mol na tol  

जब गुण को गाहक मिले तब गुण लाख बिकाई.
जब गुण को गाहक नहीं तब कौड़ी बदले जाई

Jb goon ko gaahak mile tb goon lakh bikai
Jb goon ko gahaak nahi tb kidi badle jaai

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उड़ाय

Sadhu aisa chaiye jaisa soop subhaye
Saar-saar ko gahi rhe thotha daai uddye

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा तुर्क कहें रहमाना
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी  मुए मरम न कोउ जाना


Hindu kahe mohi ram piyara tukr kahe rehmaan 
Aapas mai dau ladi-ladi mue maram kau jaan



घूँघट का पट खोल रे  तोको पीव मिलेगे 
घट घट मे वह सांई रमता  कटुक वचन मत बोल रे
धन जोबन का गरब न कीजै  झूठा पचरंग चोल रे
सुन्न महल मे दियना बारिले  आसन सों मत डोल रे
जागू जुगुत सों रंगमहल में पिय पायो अनमोल रे
कह कबीर आनंद भयो है  बाजत अनहद ढोल रे

Ghunghat ka  pat khol re toko piv milegye
Ghat ghat mai vh sai ramta katuk vachan maat bol re
Dhan joban ka garb na kije jootha pachrang chol re
Sootr mahal mai diyna barile aasan so mat dool re
Jago jugut so rangmahal mai piv payo anmol re
Kh kabir aanand bhayo hai bajat anhad dol re


रे दिल
प्रेम नगर का अंत न पाया ज्‍यों आया त्‍यों जावैगा
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता या जीवन में क्‍या क्‍या बीता
सिर पाहन का बोझा लीता आगे कौन छुड़ावैगा
परली पार मेरा मीता खडि़या उस मिलने का ध्‍यान न धरिया
टूटी नाव, उपर जो बैठा गाफिल गोता खावैगा
दास कबीर कहैं समझाई  अंतकाल तेरा कौन सहाई
चला अकेला संग न कोई किया अपना पावैगा
Arre dil
Prem nagar ka aant paya jyo aaya tyo javega
Sun mere sajan sun mere mita ya jivan mai kya kya bita
Sir pahan ka bhoja lita aage kon chudavega
Parli paar mera mita khdiya us milne ka dhyaan na dhriya
Tooti naav , upar jo baitha gafil gota khavega
Das kabir khe samjhai  aantkaal tera kon sahai
Chala akela sang na koi kiya apna pavega

लूट सके तो लूट ले राम नाम की लूट 
पाछे फिरे पछताओगे प्राण जाहिं जब छूट

loot sake toh loot le ram naam ki loot
Pche phire pachtaoge  praan jaahi jab choot

तिनका कबहु ना निंदये जो पाँव तले होय 
कबहुँ उड़ आँखो पड़े पीर घानेरी होय
Tinka kabhu na nindye jo paav tale hoye
Kabhu udd aakho pade pir ghaneri hoye

जहाँ दया तहा धर्म है,जहाँ लोभ वहां पाप 
जहाँ क्रोध तहा काल है जहाँ क्षमा वहां आप 

Jahan daya taha dharm hai , jahan lobh vahan paap
Jahan krodh taha kaal hai jahan shama vaha aap

मिरन सूरत लगाईं के मुख से कछु न बोल 
बाहर के  पट बंद कर अन्दर के  पट खोल

Miran surat lagai ke mukh se kuch na bole
 Bahar ke pat band kar andaar ke pat khol

राम बुलावा भेजिया दिया कबीरा रोय 
जो सुख साधू संग में सो बैकुंठ न होय

Ram bulava bhejiya diya kabira roye
jo sukh sadhu sang mai so baikunth na hoye

मांगन मरण सामान है मत मांगो कोई भीख
मांगन से मरना भला ये सतगुरु की सीख

maangan maran samaan hai mat maango koi beekh
mangan se marna bhala ye satgur ki seekh 



kabir das ji



चदरिया झीनी रे झीनी 

चदरिया झीनी रे झीनी राम नाम रस भीनी
चदरिया झीनी रे झीनी

कबीरा जब हम पैदा हुए,जग हँसे,हम रोये
ऐसी करनी कर चलो,हम हँसे,जग रोये 

अष्ट कमल का चरखा बनाया,पांच तत्व की पूनी 
नौ दस मास बुनन को लागे,मूरख मैली किन्ही

जब मोरी चादर बन घर आई,रंगरेज को दीन्हि 
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,के लालो लाल कर दीन्हि

चादर ओढ़ शंका मत करियो,ये दो दिन तुमको दीन्हि
मूरख लोग भेद नहीं जाने,दिन-दिन मैली कीन्हि

ध्रुव-प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी चदरिया, शुकदे में निर्मल कीन्हि
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,ज्यूँ की त्यूं धर दीन्हि

चदरिया झीनी रे झीनी ... 






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