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मेरी प्रार्थना

जय माता दी


maa,mata,jai mata di
हे माँ 


विपत्तियों से रक्षा कर यह मेरी प्रार्थना नहीं

मैं विपत्तियों से भयभीत न होऊं

अपने दु:ख से व्यथित चित को

सांत्वना देने की भिक्षा नहीं मांगता

मुझे ऐसी शक्ति देना

मैं दु:खों पर विजय पाऊँ

यदि सहायता न जुटे तो भी मेरा बल न टूटे

संसार से हानि ही मिले,केवल वंचना ही पाऊँ

तो भी मेरा मन उसे क्षति न माने

मेरा त्रास कर यह मेरी प्रार्थना नहीं

मेरी तैरने की शक्ति बनी रहें

मेरा भार हल्का करके मुझे सांत्वना न दे

यह भर वहन करके चलता रहूँ

सुख भरे क्षणों में नतमस्तक में तेरा मुख पहचान पाऊँ

किन्तु दुख भरी रातों में भी

जब सारी दुनिया मेरी वंचना करे

तब भी मैं तेरे प्रति शंकित न होऊँ