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गायत्री मंत्र

maa gayatri,माँ गायत्री,

माँ गायत्री


ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्



ॐ               सबकी रक्षा करने वाला
भू:               जो सब जगत् के जीवन का आधार, प्राण से प्रिय और स्वयंभू है
भुव:             जी सब दुखो से रहित. जिसके संग से जिव सब दुखो से छूट जाते है
स्व:             जो नानाविध जगत् में व्यापक हो के सबको धारण करता है
सवितु          जो सब जगत् का उत्पादक और सब एश्वर्य का दाता है 
देवस्य         जो सुखो का देनहार और जिसकी प्राप्ति की कामना सब करते है 
वरेण्यम       जो स्वीकार करने योग्य अतिश्रेष्ट
भर्ग:            शुध्स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन ब्रह्मस्वरूप है 
तत्              उसी परमात्मा के स्वरूप को हम लोग 
धीमहि         धारण  करे किस प्रयोजन के लिए की 
य:               जो देव परमात्मा 
न:               हमारी 
धीय:           बुद्धियो को 
प्रचोदयात्    प्रेणना करे अर्थात् बुरे कामो छोड़ क्र अच्छे कामो में प्रवुत करे