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प्रिंस अलेमाएहु: एबिसिनिया का खोया हुआ वारिस अफ्रीका के मध्य में, राजकुमार अलेमायेहु के जीवन के माध्यम से राजशाही, त्रासदी और औपनिवेशिक साज़िश की एक कहानी सामने आती है। 1861 में जन्मे, वह सम्राट टेवोड्रोस द्वितीय और रानी टेरुनेश के पुत्र थे, ये दो शख्सियतें थीं जिनका जीवन एबिसिनिया की नियति के साथ जुड़ा हुआ था। यह युवा राजकुमार, जो अंततः इथियोपिया के लचीलेपन और प्रतिरोध का प्रतीक बन गया, को न केवल अपने पिता का नाम विरासत में मिला, बल्कि एक एकजुट और शक्तिशाली इथियोपिया के सपने भी विरासत में मिले। रॉयल्टी की जड़ें प्रिंस अलेमायेहु की वंशावली का पता एबिसिनिया के प्राचीन सम्राटों से लगाया जा सकता है, यह वंश इतिहास की समृद्ध मिट्टी में एक विशाल वृक्ष की गहरी जड़ों की तरह डूबा हुआ है। उनके पिता, सम्राट टेवोड्रोस द्वितीय, एक दूरदर्शी नेता थे, जिनकी तुलना अक्सर सवाना के शेर से की जाती थी, जो बाहरी खतरों से अपने राज्य की रक्षा करते थे। उनकी मां, रानी तेरुनेश, एक उज्ज्वल सूरज के समान थीं, जो अपने परिवार और प्रजा को गर्मी और आराम प्रदान करती थीं। अलेमायेहु का पालन-पोषण शाही परंपराओं और एबिसिनिया

Maa Vaishno Devi Yatra



Maa Vaishno Devi Yatra


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हते हैं पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती है उस के दरबार में जो कोई आता है मन मुरादे पाता है ! ऐसा है सच्चा दरबार माता का कहते हैं वैष्णो देवी जाते नहीं है माता खुद बुलाती है मां वैष्णो देवी की यात्रा विश्व में सबसे पवित्र यात्रा मानी गई है श्री मां वैष्णो देवी जी जिनकी गुफा तीन पर्वतों से घिरे पर्वत जिसे त्रिकुट कहते हैं में विराजमान हैं  कई लाखों लोग मां वैष्णो देवी के दर्शन को हर साल आते हैं अलग-अलग राज्यों से देशों से दुनिया के लगभग हर कोने से लोग मां वैष्णो दर्शन को आते हैं
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त्रिकुट पर्वत की पहाड़ियों पर कटरा से लगभग 14 किलोमीटर दूर मां वैष्णो देवी का सुंदर,भव्य भवन है जो कि आदि शक्ति को समर्पित है माता रानी वैष्णो देवी अंबे जगदंबे सभी माता के ही नाम है श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड संपूर्ण यात्रा की की व्यवस्था है देखता है ,तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद सबसे ज्यादा देखा जाने वाला धार्मिक स्थल तीर्थ स्थल मां वैष्णो देवी दरबार है




मां वैष्णो देवी के संबंध में कई कथाएं सुनने में आती है पर सबसे ज्यादा सबसे मुख्य दो कथाएं प्रचलित है एक मान्यता के अनुसार पहाड़ों वाली माता ने मां वैष्णो देवी ने अपने एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उस की लाज बचाई और पूरे सृष्टि को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया

mata vaishno devi yatra from katra hills jammu  पंडित श्रीधर निर्धन पंडित श्रीधर की जिसको कोई औलाद न थी वह सच्चे दिल से मां  प्रार्थन की  , माता ने उसे सपने में दर्शन दिया और कहां तुम नवरात्रों व्रत करो और सारे गांव को भंडारे पर बुलाओ  निर्धन पंडित श्रीधर शंकित हुए  मैं निर्धन सारे गांव को कैसे भंडारा कराऊंगा कन्या रूपी माता ने कहा उसकी चिंता तुम मत करो सब माता भला करेगी माता के आदेशानुसार श्रीधर पंडित सारे गांव को भंडारे का निमंत्रण दिया आस-पास के गांव में भी दिया  रास्ते में बाबा गोरखनाथ के शिष्य भैरव बाबा जी अपनी मंडली के साथ मिले पंडित श्रीधर ने उन्हें भी भंडारे का न्योता दिया बाबा  बाबा भैरवनाथ बड़े ही चमत्कारी बाबा थे उन्होंने कहा मेरे भोजन की तृप्ति तो    स्वयं  विष्णु भी नहीं कर पाएंगे तुम कैसे करोगे सोच लो मैं अपनी पूरी  
mata vaishno devi yatra from katra hills jammuमंडली के साथ आऊंगा तब पंडित श्रीधर ने दिव्य कन्या की  कहीं सारी बात बताई और कहा उन्हीं के आदेश पर मैं आपको निमंत्रण   दे  रहा हूं पहले तो गांव वालों ने अचरज किया एक निर्धन ब्राह्मण और सारे गांव को भंडारे का आमंत्रण निमंत्रण पंडित श्रीधर  ने  माता का पूजन कर     नवरात्रे रखे नवे नवे दिन   नौवें दिन कन्या भोजन  करा भंडारा आरंभ किया और मां से प्रार्थना की मैं तो निर्धन हूं किस तरह से सारे गांव को भंडारा कराऊंगा तब माता ने पंडित श्रीधर की लाज रखी और कन्या रूप में प्रकट हुई और एक पात्र से सारे  गांव वालों को को भोजन परोसा   तब भी भोजन बचा रहा बाबा भैरवनाथ ने कन्या को मायावी शक्ति जान  कन्या से मांस मदिरा  परोसने को कहां कन्या ने मना किया भंडारे में केवल सात्विक भोजन
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परोसा जाता है  भैरव बाबा ने जैसे ही कन्या को पकड़ने की कोशिश की पर कन्या हाथ में  ना आई  वह अदृश्य हो गई बाबा ने योग शक्ति से पता किया  कन्या त्रिकुट पर्वत की तरफ  गई है मां वैष्णवी के साथ साथ में श्री हनुमान जी   भी थे , भागते-भागते  हनुमान जी को प्यास लगी मां वैष्णवी ने बाण चलाकर धरती से जलधारा निकाली जिसे बाणगंगा कहते हैं हनुमान जी ने अपनी प्यास बुझाई और यही माता रानी ने अपने  केश  धोए  इस स्थान को बाणगंगा   और बाल गंगा भी कहते हैं ,आगे चलकर जहां माता रानी ने पीछे मुड़कर रुक कर देखा वह माता रानी
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के चरणों के निशान बन गए वहां चरण पादुका मंदिर है माता रानी एक गुफा में जा छुपी और हनुमान जी से कहा मैं यहां 9  मास तक   तप करुंगी आप किसी को अंदर ना आने दीजिएगा बाबा भैरवनाथ कन्या रुपी मां वैष्णवी को ढूंढते-ढूंढते गुफा  तक आ पहुंचे वही उनका हनुमानजी से युद्ध हुआ, युद्ध बड़ा  भयंकर हुआ मां तप कर  गुफा से बाहर आई और बाबा भैरवनाथ का वध किया जहां भैरव का   सर काटकर दूर पर्वत  जा गिरा वहां बाबा भैरोनाथ का मंदिर है अंत समय में बाबा भैरवनाथ में मां वैष्णवी से क्षमा  मांगी  और कहा मां लोग मुझे बुरा समझेंगे मेरा अंत आपके हाथ हुआ है कृपा मेरा उद्धार करें माता ने  मां वैष्णवी ने अपने तीनों रूप का दर्शन बाबा को दिया और कहाकहां  मैं इस त्रिकुटा पर्वत पर अपने तीनों  रूप में पिंडी रूप में गुफा में  स्थापित रहूंगी जो जन  मेरे दर्शन को आएगा मनमुराद पाएगा मेरे र्देशन के बाद  जो आपके मंदिर का दर्शन करेगा उसी की यात्रा सफल मानी जाएगी इसलिए जो भी  मां वैष्णो देवी रुपी तीनों पिंडीयो का दर्शन कर भैरो मंदिर को जाता है उस की यात्रा सफल मानी जाती है

आगे चलकर मां वैष्णवी देवी ने पंडित श्रीधर को स्वपन में दर्शन दिए पंडित श्रीधर ने पूछा मां आप कहां चली गई मां वैष्णवी ने कहा मैं त्रिकुट पर्वत पर गुफा में अपने तीनों रूप में पिंडी रूप में स्थापित  स्थापित हूं, निसंतान श्रीधर को मां ने चार संतान का वरदान दिया और आज भी पंडित श्रीधर के  वंशज ही मां वैष्णो देवी की गुफा की पूजा आराधना करते आ रहे हैं
माँ गुफा में अपने तीन रूपों में विद्यमान है आदिशक्ति के तीन रूप माने जाते हैं - पहली पिंडी मां महासरस्वती की है, जो ज्ञान की देवी हैं; दूसरी पिंडी मां महालक्ष्मी की है, जो धन-वैभव की देवी हैं और तीसरी पिंडी मां महाकाली को समर्पित है, जो शक्ति का रूप मानी जाती हैं

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जब-जब जगत में धर्म की हानि हुई है  तब तब देवी देवताओं ने धर्म की रक्षा को पृथ्वी पर अवतार दिया है इसी तरह से त्रेता युग में महासरस्वती ,महालक्ष्मी और महादुर्गा ने अपने सामूहिक बल से धर्म की रक्षा के लिए एक कन्या (बालिका,छोटी बच्ची ) रुप में दक्षिणी के समुंद्री तट के समीप (रामेश्वर) राजा रत्नाकर की पुत्री के रुप में अवतरित हुई राजा ने कन्या का नाम त्रिकुटा रखा परंतु भगवान विष्णु के अंश से प्रकट होने के कारण कन्या का नाम वैष्णवी के नाम से विख्यात हुआ नव वर्ष की होने पर कन्या को मालूम हुआ श्री विष्णु भगवान ने पृथ्वी पर भगवान राम के रुप में अवतार लिया है तब वह श्रीराम को पति मानकर उन्हें पाने के लिए कठोर तपस्या करने लगी श्री राम सीता मैया को सीता माता को खोजते खोजते रामेश्वर तट पर  पहुंचे तो वहां कन्या को ध्यान मग्न मुद्रा में देख अचरज हुआ मां वैष्णवी ने उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकारने को कहा श्री राम ने कहा इस जन्म में सीता से विवाह कर चुका हूं परंतु कलयुग में मैं कल्कि अवतार लूंगा तब मैं तुम्हें अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार लूंगा तब तक तुम त्रिकुट पर्वत पर जाकर तप करो और भक्तों को कष्ट दूर करो और विश्व का कल्याण करती रहो जब राम ने रावण से युद्ध कर विजय प्राप्त की तब से मां वैष्णवी ने नवरात्रों मनाने का निशचय किया इसलिए हम नवरात्रों के साथ विजयदशमी मनाते हैं

विशेष : यात्रा पर्ची

katra vaishno devi yatra parchiयात्रा पर्ची श्राइन बोर्ड द्वारा श्री मां वैष्णो देवी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है यह यात्रा पर्ची आप जम्मू बस स्टैंड के पास कटरा रेलवे स्टेशन पर जम्मू रेलवे स्टेशन के पास श्राइन बोर्ड द्वारा चलित संचालित यात्री निवास से भी बनवा सकते हैं अब ऑनलाइन की पर्ची आप बनवा सकते हैं पर यह निशुल्क नहीं है। यह अनिवार्य है यात्रा आरंभ करने के स्थान पर यह पर्ची दिखाना आवश्यक है यात्रा का स्थान यात्रा आरंभ करने के स्थान पर कोई भी यात्री पर्ची नहीं बनती है इसे संभालकर रखें जब आप भवन पहुंचेंगे तब यह पर्ची आप से ले ली जाएगी 3 साल से छोटे बच्चों के लिए पर्ची मनवाना अनिवार्य नहीं है


जम्मू से कटरा (माँ वैष्णो देवी की यात्रा चालू होती है ) 44.7 KM  दूर है यात्री ट्रेन, बस या टैक्सी ले कर 2 घंटे में कटरा पहुंच सकते है, Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board Katra (SMVDSB) द्वारा यात्रियों ठहरने व्  आराम करने के लिए जगह जगह  COMPLEX बनाए है जम्मू के रेलवे स्टेशन के पास Vaishnavi Dham जहाँ आप को Dormitory  (एक बड़े हाल में 10 – 12 पलंग ),रूम a/c non a/c कम किराय पर आसानी के मील जाते है (व्यक्तिगत रूप से कहू तो साफ साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है)


ट्रेन द्वारा :
ट्रेन द्वारा यदि आप ट्रेन द्वारा यात्रा कर रहे हैं तो यह सुविधा अब तक जम्मू स्टेशन तक ही उपलब्ध थी लेकिन अब कई ट्रेनें कटरा स्टेशन तक जाती है अधिकतर डेमू ट्रेन अर्थात लोकल ट्रेन आपको जम्मू से कटरा के लिए आसानी से उपलब्ध है

जैसे ही आप कटरा स्टेशन पहुंचते हैं तो स्टेशन पर ही यात्रा पर्ची बनवा लेने की सुविधा उपलब्ध है आप वहां से यात्रा पर्ची बनवाएं और यात्रा आरंभ कर सकते हैं ध्यान रखिएगा यात्रा पर्ची बनवाने के 6 घंटे के अंदर ही आपको मुख्य काउंटर पर पहुंचना होता है (बाढ़ गंगा) के जहां पर यात्रा पर्ची की एंट्री होती है





हवाई जहाज द्वारा

जम्मू एयरपोर्ट से कटरा लगभग 49  किलोमीटर दूर है जहां से आप टैक्सी द्वारा कटरा लगभग दो से 2 घंटे में आसानी से पहुंच सकते हैं दिल्ली से जम्मू रोजाना फ्लाइट चलती है लगभग 80 मिनट लगते हैं दिल्ही से जम्मू पहुंचने में

बस द्वारा 
 यदि आप बस द्वारा यात्रा करना चाहते हैं जम्मू स्टेशन से बाहर निकलते पास ही में जम्मू से कटरा बस आसानी से मिल जाती आप आसानी से वहां से कटरा के लिए सीधी  बस ले सकते हैं, जम्मू स्टेशन से कटरा लगभग 50 KM  दूर है ,लगभग दो घंटे में  आप कटरा बस स्टेण्ड पहुंच जाते है, बस स्टैंड के पास ही यात्रा पर्ची काउंटर है वहां से आप यात्रा पर्ची बना सकते हैं बनवा सकते हैं, यह जरूरी है, यात्रा प्रारंभ करने के स्थान पर कोई भी यात्रा पर्ची नहीं बनती यह आपको असुविधा में डाल सकती है कृपया बस स्टैंड से ही यात्रा पर्ची बनवाकर यात्रा आरंभ करें


हैलीकाप्टर  द्वारा Helicopter


यदि आप किन्ही कारणो से पैदल या घोड़े या समय की कमी के चलते जल्दी दर्शन करना चाहते है तो आप Helicopter द्वारा भी यात्रा कर सकते है booking ऑनलाइन या कटरा बस स्टेण्ड के पास निहारिका भवन से भी करा सकते है।







मुख्य द्वार

मुख्य द्वार जय माता दी जैसे ही आप ऑटो से या टैक्सी से यात्रा आरंभ द्वार पर आएंगे आपको दूर से ही मुख्य द्वार नजर आ जाएगा सफेद संगमरमर से बना अलग ही चमकता हुआ यहां पर अपनी यात्रा पर्ची दिखाकर आप यात्रा आरंभ कर सकते हैं, मार्ग के दोनों ओर सड़क के दोनों ओर आपको कई दुकानें दिख जाएंगी जिन पर आप अपना अतिरिक्त सामान जमा करा सकते हैं और वापसी में ले भी सकते हैं, यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई लोग अधिकांश लोग लाठी किराए पर लेते हैं जो 5- 10 -20 रुपए में आपको यह लाठी इन्हीं दुकानों से आराम से किराए पर मिल जाती है वापसी में आधे पैसे वापस करके यह लाठियां वापस दे सकते या चाहे तो यह लाठियां अपने साथ ले भी जा सकते हैं या किसी और को दे सकते हैं
पेरी पेरी चढ़ता जा जय माता दी करदा जा





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