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प्रिंस अलेमाएहु: एबिसिनिया का खोया हुआ वारिस अफ्रीका के मध्य में, राजकुमार अलेमायेहु के जीवन के माध्यम से राजशाही, त्रासदी और औपनिवेशिक साज़िश की एक कहानी सामने आती है। 1861 में जन्मे, वह सम्राट टेवोड्रोस द्वितीय और रानी टेरुनेश के पुत्र थे, ये दो शख्सियतें थीं जिनका जीवन एबिसिनिया की नियति के साथ जुड़ा हुआ था। यह युवा राजकुमार, जो अंततः इथियोपिया के लचीलेपन और प्रतिरोध का प्रतीक बन गया, को न केवल अपने पिता का नाम विरासत में मिला, बल्कि एक एकजुट और शक्तिशाली इथियोपिया के सपने भी विरासत में मिले। रॉयल्टी की जड़ें प्रिंस अलेमायेहु की वंशावली का पता एबिसिनिया के प्राचीन सम्राटों से लगाया जा सकता है, यह वंश इतिहास की समृद्ध मिट्टी में एक विशाल वृक्ष की गहरी जड़ों की तरह डूबा हुआ है। उनके पिता, सम्राट टेवोड्रोस द्वितीय, एक दूरदर्शी नेता थे, जिनकी तुलना अक्सर सवाना के शेर से की जाती थी, जो बाहरी खतरों से अपने राज्य की रक्षा करते थे। उनकी मां, रानी तेरुनेश, एक उज्ज्वल सूरज के समान थीं, जो अपने परिवार और प्रजा को गर्मी और आराम प्रदान करती थीं। अलेमायेहु का पालन-पोषण शाही परंपराओं और एबिसिनिया

शब्द:- मुंशी प्रेमचन्द

Munshi Premchand शब्द मुंशी प्रेमचन्द की पुस्तको से हिंदी और उर्दू साहित्य के मुंशी प्रेमचंद (धनपत राय प्रेमचंद) सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक हैं। मुंशी प्रेमचंद की पुस्तकों में से कुछ अनमोल वचन आपके लिए प्रस्तुत है। आदर्श आदर्श ही रहता है, हकीकत नही हो सकता धर्म की कमाई में बल होता है  आमदनी पर सबकी नजर रहती है , खर्च कोई नही देखता  जो लोग ओरतो की बैज्ज्दी कर सकते है, वे दया के योग्य नही  आदमी पर आ पडती है,तो आदमी आप संभल जाता है  मानव जीवन तू इतना ‍‌छणभंगुर है पर तेरी कल्पनाए कितनी दिर्ध्यु  संसार बुरो के लिए बुरा है औऱ अच्छों के लिए अच्छा है। ऐश्वर्य पाकर बुद्धि भी मंद हो जाती है  ईमान है तो सब कुछ है  मजहब  खिदमत का का नाम हे लूट और कत्ल का नही प्रेम बंधन ना हो पर धर्म तो बंधन है  धर्म की क्षती जिस अनुपात से होती हे उसी अनुपात से आडंबर की वृद्धि होती हे नमृता पत्थर को भी मोम कर देती हे आनंद जीवन अनंत प्रवाह मे हे मानवीय चरित्र इतना जटिल हे कि बुरे से बुरा आदमी देवता हो जाता हे ओर

शब्द - खलील जिब्रान

Khalil Gibran खलील जिब्रान, लेबनानी-अमेरिकी लेखक, कवि, और चित्रकार थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से दिलों को छू जाने वाले संदेश दिए। वे 20वीं सदी के महत्वपूर्ण साहित्यिक फ़िगर्स में से एक माने जाते हैं और उनकी प्रसिद्ध किताब "प्रोफेट" एक आदर्शिक काव्य रचना है जिसमें वे मानवता, प्रेम, जीवन, और समस्याओं पर अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हैं। खलील जिब्रान का जन्म 1883 में लेबनान के गिब्रान गांव में हुआ था, और बाद में वे अमेरिका में बसे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई कविताएँ, किताबें, और चित्र बनाए, जिनमें उनकी गहरी विचारधारा और सजीव भावनाएँ प्रकट होती थीं। उनकी काव्यरचनाओं के माध्यम से, खलील जिब्रान ने सामाजिक, आध्यात्मिक, और व्यक्तिगत मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण को साझा किया और उनके शब्द हमें सोचने और समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे अपनी कविताओं में नई दिशाओं की ओर मानव जीवन के अनगिनत पहलुओं को छूने का प्रयास करते थे और उनकी रचनाओं का महत्व आज भी बना हुआ है। खलील जिब्रान के कहे कुछ शब्द जो दिल को छू जाते हैं  भगवान का प्रथम विचार 'देव-दूत' बना बना औ

रहीम के दोहे

Rahim Khan-I-Khana रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर जब बननी के  दिन आत हैं, बनत न लगि है देर चाह गई चिंता गई,  मनुआ बेपरवाह जिनको कछु नहि चाहिये, वे शहन  के शाह  रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पढ़  जाय रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय रहिमन विपदा ही भली, जो थोड़े  दिन होय हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि छमा  बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात खैर, खून, खाँसी, ख़ुशी, बैर, प्रीति, मदपान रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब ज

गायत्री मंत्र

माँ गायत्री ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ॐ               सबकी रक्षा करने वाला भू:               जो सब जगत् के जीवन का आधार, प्राण से प्रिय और स्वयंभू है भुव:             जी सब दुखो से रहित. जिसके संग से जिव सब दुखो से छूट जाते है स्व:             जो नानाविध जगत् में व्यापक हो के सबको धारण करता है सवितु          जो सब जगत् का उत्पादक और सब एश्वर्य का दाता है  देवस्य         जो सुखो का देनहार और जिसकी प्राप्ति की कामना सब करते है  वरेण्यम       जो स्वीकार करने योग्य अतिश्रेष्ट भर्ग:            शुध्स्वरूप और पवित्र करने वाला चेतन ब्रह्मस्वरूप है  तत्              उसी परमात्मा के स्वरूप को हम लोग  धीमहि          धारण  करे किस प्रयोजन के लिए की  य:               जो देव परमात्मा  न:               हमारी  धीय:           बुद्धियो को  प्रचोदयात्    प्रेणना करे अर्थात् बुरे कामो छोड़ क्र अच्छे कामो में प्रवुत करे 

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Sant Kabir Das

संत कबीर दास के दोहे Indian mystic poet and saint Kabirdas, also known as Kabir, lived in the 15th century. He is the greatest poet of the Nirguna branch of the Gyanmargi subbranch of Bhakti literature in Hindi. His songs had a significant impact on the Bhakti movement in the Hindi-speaking world. His works have been incorporated into the Sikhs' Adi Granth. संत कबीर दास  के दोहे केस कहा बिगडिया, जे मुंडे सौ बार   मन को काहे न मूंडिये, जा में विशे विकार Kes kaha bigadiya , J munde saau baar  Maan ko kahe na mundiye , Ja mai vishay vikaar केस = बाल , मुंडे = सर के सारे बाल साफ करना  जा में विशे विकार= जिस में अच्छे विचार न हो  माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय  एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय  Maati khe kumhaar se tu kya ronde moye Ek din aisa aae ga main rondu gyi tohe  साईं इतना दीजिए जा मे कुटुम समाय मैं भी भूखा न रहूं साधु ना भूखा जाय Sai itna dijiye ja mai kutumb samaye Main bhi bookha na rahun sadhu na bukha jae बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजू

Mahatma Gandhi Quotes In Hindi महात्मा गांधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी के अनमोल विचार  तभी बोलो जब वो मौन से बेहतर हो अपनी भूलो को स्वीकारना उस झाड़ू के समान हे जो गंदगी को साफ कर उस स्थान को पहले दे अधिक स्वछ कर देती हे ।                                                                                                                     - महात्मा गांधी  अपने सास - ससुर के घर या  अपनी बहन के घर मैं पानी तक न पीता था। वे छिप कर  पिलाने को तैयार होते पर जो काम खुले तौर से न किया जा सके, उसे छिपकर करने के लिए मेरा मन ही तैयार न होता था।                                                                                       - महात्मा गांधी  (सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा पुस्तक से ) मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है.अहिंसा उसे पाने का साधन                                                             - महात्मा गांधी  व्यक्ति अपने विचारों से बना एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है                                                                 - मोहनदास कर्मचन्द गांधी आप तब तक यह नही

शब्द:- मुंशी प्रेमचन्द

Munshi Premchand शब्द मुंशी प्रेमचन्द की पुस्तको से हिंदी और उर्दू साहित्य के मुंशी प्रेमचंद (धनपत राय प्रेमचंद) सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक हैं। मुंशी प्रेमचंद की पुस्तकों में से कुछ अनमोल वचन आपके लिए प्रस्तुत है। आदर्श आदर्श ही रहता है, हकीकत नही हो सकता धर्म की कमाई में बल होता है  आमदनी पर सबकी नजर रहती है , खर्च कोई नही देखता  जो लोग ओरतो की बैज्ज्दी कर सकते है, वे दया के योग्य नही  आदमी पर आ पडती है,तो आदमी आप संभल जाता है  मानव जीवन तू इतना ‍‌छणभंगुर है पर तेरी कल्पनाए कितनी दिर्ध्यु  संसार बुरो के लिए बुरा है औऱ अच्छों के लिए अच्छा है। ऐश्वर्य पाकर बुद्धि भी मंद हो जाती है  ईमान है तो सब कुछ है  मजहब  खिदमत का का नाम हे लूट और कत्ल का नही प्रेम बंधन ना हो पर धर्म तो बंधन है  धर्म की क्षती जिस अनुपात से होती हे उसी अनुपात से आडंबर की वृद्धि होती हे नमृता पत्थर को भी मोम कर देती हे आनंद जीवन अनंत प्रवाह मे हे मानवीय चरित्र इतना जटिल हे कि बुरे से बुरा आदमी देवता हो जाता हे ओर